Thursday, March 31, 2011

धन्य बबा गाँधी....

-कोदूराम"दलित"

चरखा -तकली चला-चला  के ,खद्दर पहिने ओढ़े
धन्य बबा गाँधी   ,सुराज ला लेये      तब्भे छोड़े .

सबो धरम अऊ सबो जात ला ,एक कड़ी मा जोड़े
अंगरेजी कानून मनन- ला        पापड़ साहीं तोड़े.
चरखा -तकली चला-चला  के ,खद्दर पहिने ओढ़े
धन्य बबा गाँधी   ,सुराज ला लेये      तब्भे छोड़े

रहिस जउन  हर तोर गिराए खातिर खाँचा कोड़े
करके प्यार-दुलार उहू -ला      अपने कोती मोड़े
चरखा -तकली चला-चला  के ,खद्दर पहिने ओढ़े
धन्य बबा गाँधी   ,सुराज ला लेये      तब्भे छोड़े .

गए बिलायत जिहां कुटिल मन बइठे रहे धपोड़े
भरे सभा में उनकर भंडा       नरियर साहीं फोड़े
चरखा -तकली चला-चला  के ,खद्दर पहिने ओढ़े
धन्य बबा गाँधी   ,सुराज ला लेये      तब्भे छोड़े .

कर-कर के सत्याग्रह गोरा-शासन ला झकझोरे
तोर प्रताप देख के चर्चिल     रहिगे दाँत निपोरे
चरखा -तकली चला-चला  के ,खद्दर पहिने ओढ़े
धन्य बबा गाँधी   ,सुराज ला लेये      तब्भे छोड़े

सन बयालीस-मा निठुर मनन ला,लिमउ असन निचोड़े
"
अंगरेजों ! भारत छोडो ",कही मरुवा उंकर मरोड़े
चरखा -तकली चला-चला  के ,खद्दर पहिने ओढ़े
धन्य बबा गाँधी   ,सुराज ला लेये      तब्भे छोड़े .

धोये तही विषमता के प्याला अउ अमृत घोरे
दीन-दलित मन के कल्याण भइस किरपा-मा तोरे
चरखा -तकली चला-चला  के ,खद्दर पहिने ओढ़े
धन्य बबा गाँधी   ,सुराज ला लेये      तब्भे छोड़े .

रहिस जरुरत  तोर  आज पर  चिटको  नहीं  अगोरे
अमर लोक जाके दुनियां -ला दुःख  सागर मा बोरे.
चरखा -तकली चला-चला  के ,खद्दर पहिने ओढ़े
धन्य बबा गाँधी   ,सुराज ला लेये      तब्भे छोड़े .

बापू जी के गुण ला गाबो,हम मन भइया हो रे
वोला नमन सदा करबो हम दूनों हाथ ला जोरे.
चरखा -तकली चला-चला  के ,खद्दर पहिने ओढ़े
धन्य बबा गाँधी   ,सुराज ला लेये      तब्भे छोड़े .

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Sunday, March 27, 2011

एक के महातम...

     -कोदूराम"दलित"

का कर सकिही हमर एक हर ?
अइसन कभू कहो झन भाई
जऊन "एक" ला हीनत रहिथौ
तऊन "एक" के सुनो बड़ाई .

डब्बी के एक्के काड़ी माँ
सब्बो जंगल हर जर जाथे
एक्के बघवा के पहुंचे ले
सब्बो कोलिह्या मन थर्राथे
एक्के   ठन   बिच्छी हर  चाबे
सुरता आय ददा अऊ दाई
का कर सकिही हमर एक हर ?
अइसन कभू कहो झन भाई
जऊन "एक" ला तुच्छ समझथौ
तऊन "एक" के सुनो बड़ाई .

एक्के नंबर लइका मन ला
पास फेल सब करवा देथे
एक्के सूझ जंग माँ भइया
जितवा देथे-हरवा देथे
एक्के ठन गिर जाय गाज तो
परवत होथे राई - छाई
का कर सकिही हमर एक हर ?
अइसन कभू कहो झन भाई
जऊन "एक" ला तुच्छ समझथौ
तऊन "एक" के सुनो बड़ाई .

एक्के ठन हनुमान  बहुत  बड़
परबत अधर उठा के लाईस
दुःख में काम पड़ीस मालिक के
लछमन जी के प्राण बचाइस
एक भागीरथ सब झन खातिर
लाइस जाके गंगा माई
 का कर सकिही हमर एक हर ?
अइसन कभू कहो झन भाई .
जऊन "एक" ला  हीनत रहिथौ
तऊन "एक" के सुनो बड़ाई .

एक्के  गाँधी के मारे
हड़बड़ा गइन फिरंगी
एक्के झाँसी के रानी हर
जौंहर मता दे रहिस संगी
एक्के नेहरु के मानयँ तो
दुनिया के हो जाय भलाई
 का कर सकिही हमर एक हर ?
अइसन कभू कहो झन भाई .
जऊन "एक" ला  हीनत रहिथौ
तऊन "एक" के सुनो बड़ाई .

ये किसम मोर भैया हो
हमरो मा साहस हे,बल हे
भूले हन हम अपन-आप ला
हमरो कना गजब अक्कल हे
अच्छा तो आओ जुरमिल के
अपन देश ला खूब सजाई. 
 का कर सकिही हमर एक हर ?
अइसन कभू कहो झन भाई
जऊन "एक" ला  हीनत रहिथौ 
"तऊन "एक" के सुनो बड़ाई .