Saturday, June 4, 2011

सत्याग्रह

-जनकवि स्व.कोदूराम "दलित"
(आजादी के पूर्व की कविता)

अब हम सत्याग्रह करबो
कसो कसौटी –मा अउ देखो
हम्मन खरा उतरबो
अब हम सत्याग्रह करबो.

जा–जा के कलार भट्टी–मा
हम मन धरना धरबो
बेंच झन शराब –कहिबो अउ
पाँव उँकर हम परबो.
अब हम सत्याग्रह करबो..........

जंगल अउर नून के कानून
घलो तोड़ के धरबो
चाहे लाठी-डण्डा बरसे
मरबो तब्भे टरबो.
अब हम सत्याग्रह करबो..........  

जाबो जेल देश-खातिर अब-
हम्मन जीबो-मरबो
बात मानबो बापू के तब्भे
हम सब झन तरबो.
अब हम सत्याग्रह करबो..........




2 comments:

  1. जनकवि स्व.कोदूराम दलित जी की देशभक्तिपूर्ण कविता पढ़ कर मन भावविभोर हो गया.
    मुझे धुंधला-सा स्मरण है कि मेरे नानाजी गंधीवादी स्व.श्यामचरण सिंह स्व.कोदूराम दलित जी की चर्चा किया करते थे. मेरे नानाजी का कर्मक्षेत्र छत्तीसगढ़ था.

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  2. कविता के भावों को सहज समझ सका. आभार इस महान कवि की रचना से अवगत कराने का.

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