Wednesday, September 14, 2011

“जय हिंदी – जय देवनागरी”

– जनकवि स्व.कोदूराम ”दलित”

सरल, सुबोध, सरस, अति सुंदर, लगती प्यारी-प्यारी है
देवनागरी लिपि जिसकी, सारी लिपियों से न्यारी है.
ऋषि-प्रणीत संस्कृत भाषा, जिस भाषा की महतारी है
वह हिंदी भाषा भारत के लिये परम-हितकारी है.

सहती आई जो सदियों से, संकट भारी-भारी है
जीवित रही किंतु अब तक ,उस भाषा की बलिहारी है.
तुलसी, सूर, रहीम आदि ने की जिसकी रखवाली है
वह हिंदी भाषा भारत के लिये परम –हितकारी है.

कर न सकी जिसकी समता अरबी, उर्दू, हिंदुस्तानी
बनी सर्व-सम्मति से जो सारी भाषाओं की रानी
मंद पड़ गई जिसके आगे, अंगरेजी बेचारी है
वह हिंदी भाषा भारत के लिये परम –हितकारी है.

“जय हिंदी – जय देवनागरी”-कहती जनता सारी है
आज हिंद का बच्चा –बच्चा ,जिसका बना पुजारी है
भरी अनूठे रत्नों से, जिसकी साहित्य – पिटारी है
वह हिंदी भाषा भारत के लिये परम –हितकारी है.

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